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Punjab: उच्च न्यायालय के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार की गणनाओं को किया ध्वस्त, नागरिक चुनावों को लेकर दिए ये निर्देश

Punjab में 5 नगर निगमों, 42 नगर परिषदों और 45 वार्डों में चुनावों के आयोजन का रास्ता अब साफ हो गया है। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें राज्य चुनाव आयोग और पंजाब सरकार को राज्य में पांच नगर निगमों और 42 नगर परिषदों के चुनावों का कार्यक्रम अगले पंद्रह दिनों के भीतर घोषित करने का निर्देश दिया था। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव प्रक्रिया को दो महीने के भीतर पूरा करने के आदेश दिए हैं।

दो महीने के भीतर चुनाव कराने का आदेश

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और उज्जल भूइयान की बेंच ने कहा कि राज्य का यह दावा कि चुनावों में देरी का कारण सीमा निर्धारण (डिलीमिटेशन) प्रक्रिया का लंबित होना है, पूरी तरह से गलत है, खासकर इस वजह से क्योंकि आबादी या नगर निगम की सीमाओं में कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं हुआ है। अदालत ने चुनाव प्रक्रिया के नोटिफिकेशन को अगले दो हफ्तों में जारी करने का आदेश दिया और इसके बाद चुनावों को दो महीने के भीतर पूरा करने के लिए कहा।

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हाई कोर्ट ने सरकार का स्पष्टीकरण किया खारिज

यह फैसला उन दो याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान आया, जिनमें नगर निगम चुनावों में देरी पर सवाल उठाए गए थे। 14 अक्टूबर को हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के उस स्पष्टीकरण को खारिज कर दिया था, जिसमें कहा गया था कि सीमा निर्धारण प्रक्रिया लंबित होने के कारण चुनावों में देरी हो रही है। राज्य सरकार की ओर से इस मामले में पंजाब के महाधिवक्ता गुरमिंदर सिंह, वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी और अधिवक्ता करण शर्मा ने अदालत में तर्क दिया था।

राज्य सरकार की अपील हुई खारिज

शुरुआत में राज्य सरकार ने इस मामले को कानूनी लड़ाई में न घसीटने की बात स्वीकार की थी, लेकिन उन्होंने यह दावा किया था कि राज्य सरकार की ओर से कोई देरी की रणनीति नहीं अपनाई गई है। हालांकि, बेंच ने उनकी अपील को खारिज कर दिया और राज्य को संविधान के अनुच्छेद 243 के तहत अपनी जिम्मेदारियों की याद दिलाई। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि राज्य सरकार को चुनावों का आयोजन करना ही होगा और इसके लिए उन्हें कोई और समय नहीं दिया जाएगा।

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चुनावों के लिए 15 दिनों में नोटिफिकेशन जारी करने का आदेश

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद, राज्य सरकार को अब विधानसभा की चार सीटों पर होने वाले उपचुनावों के बाद ही नगर निगम चुनावों की प्रक्रिया शुरू करनी होगी। पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने पहले ही आदेश दिया था कि राज्य सरकार को लुधियाना, अमृतसर, जालंधर, पटियाला और फगवाड़ा में नगर निगम चुनावों का नोटिफिकेशन अगले पंद्रह दिनों के भीतर जारी करना होगा। इस आदेश के खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। हाई कोर्ट ने इस मामले में सरकार को नोटिफिकेशन जारी नहीं करने पर अवमानना का नोटिस भी जारी किया था।

हालांकि, राज्य सरकार को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत नहीं मिल पाई। सुप्रीम कोर्ट ने भी स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि नगर निगम चुनावों को जल्द से जल्द आयोजित किया जाए और राज्य सरकार को इसकी पूरी जिम्मेदारी दी है।

स्थानीय निकाय मंत्री को विधायकों का विरोध झेलना पड़ा

जब सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आ रहा था, उस वक्त स्थानीय निकाय विभाग के मंत्री डॉ. रवजोत सिंह अपने विभाग से संबंधित निगमों और परिषदों के विधायकों के साथ बैठक कर रहे थे। बैठक में विधायकों ने लंबित कामों को लेकर विभाग के प्रति कड़ा असंतोष व्यक्त किया।

विधायकों ने कहा कि निगमों और परिषदों द्वारा दो साल पहले जो प्रस्ताव पास किए गए थे और मुख्यालय को भेजे गए थे, उनका अब तक न तो निरसन किया गया है और न ही उन पर कोई निर्णय लिया गया है। पटियाला के विधायक डॉ. बलबीर सिंह ने बैठक में टाउन प्लानिंग योजनाओं को पूरा नहीं करने को लेकर नाराजगी जताई।

विधायकों ने इस बात पर भी असंतोष व्यक्त किया कि पांच सौ करोड़ रुपये की लागत से बनाई जा रही जलापूर्ति योजना को पूरा नहीं किया गया। इस योजना में 300 किलोमीटर के क्षेत्र में जलापूर्ति के लिए पाइप लाइन बिछानी थी, लेकिन अब तक केवल 125 किलोमीटर का काम ही पूरा हो सका है।

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सरकार की स्थिति और राजनीतिक दबाव

पंजाब में स्थानीय निकाय चुनावों को लेकर राजनीतिक दबाव बढ़ता जा रहा है। सरकार पर चुनावों के आयोजन में देरी के आरोप हैं, जिससे विपक्ष भी लगातार हमलावर है। सुप्रीम कोर्ट का आदेश राज्य सरकार के लिए एक झटका साबित हुआ है, क्योंकि यह चुनाव राज्य के लिए राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं।

राज्य सरकार को उम्मीद थी कि सुप्रीम कोर्ट से उसे कुछ राहत मिलेगी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि चुनावों को किसी भी हालत में टाला नहीं जा सकता। अब राज्य सरकार को चुनाव प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूरा करना होगा और इसके लिए उसे 15 दिनों के भीतर नोटिफिकेशन जारी करना होगा।

चुनाव प्रक्रिया को लेकर राज्य सरकार की जिम्मेदारी

राज्य सरकार के लिए यह फैसला चुनौतीपूर्ण हो सकता है, क्योंकि उसे विधानसभा उपचुनावों के बाद नगर निगम चुनावों की प्रक्रिया को तेज़ी से और सही तरीके से आयोजित करना होगा। यह चुनाव न केवल सरकार के लिए एक परीक्षण होंगे, बल्कि स्थानीय निकायों के विकास कार्यों और लोगों की अपेक्षाओं को पूरा करने की दिशा में भी महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं।

पंजाब में स्थानीय निकाय चुनावों को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला राज्य सरकार के लिए एक बड़ा झटका साबित हुआ है। सरकार को अब चुनावों की प्रक्रिया को 15 दिनों के भीतर शुरू कर के दो महीने के भीतर पूरा करना होगा। इस दौरान, विधायकों की नाराजगी और लंबित विकास कार्यों को लेकर दबाव भी बढ़ेगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि राज्य सरकार इस चुनौती का सामना कैसे करती है और चुनावों को सफलतापूर्वक आयोजित करती है।

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